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कुछ बदल गया है जीवन में
— एक आत्मस्वीकृति की कविता
हाँ, कुछ बदला है जीवन में,
पहले जैसी मैं रही नहीं,
जो सहती थी चुपचाप कभी,
अब वैसी मैं कहीं रही नहीं।
वो लोग जो कहते थे कुछ न कहना,
आज मेरे हर शब्द से डरते हैं,
जो कहते थे चुप रहना ही भला,
अब मेरी आवाज़ से जलते हैं।
पहले जो आँसू पी जाती थी,
अब आँधियों सी बहा देती हूँ,
जो सहती थी हर ताना चुपचाप,
अब जवाब देना जान गई हूँ।
कभी जो खुद को खो बैठी थी,
अब खुद को वापस पा ली हूँ,
जो टूटी थी हर मोड़ पे कभी,
अब हर मोड़ पर मुस्कुरा ली हूँ।
हाँ, कुछ तो बदला है जीवन में,
अब मैं खुद की साथी हूँ,
अब भीड़ में खो जाने वाली नहीं,
मैं अब अपनी कहानी हूँ।
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