इस्लाम के अंधभक्त ☪️
इस्लाम मानव को आध्यात्मिकता सिखाने के लिए नहीं बनाया गया था और न ही प्रबुद्ध बनाने के लिए इसको गढ़ा गया था। इस्लाम में आध्यात्मिक संदेश गौण है या कहें कि है ही नहीं। इस्लाम में ईश्वर भक्ति का अर्थ है मुहम्मद का अनुकरण करना है, उस मुहम्मद का जो पवित्रता से कोसों दूर रहता था। इस्लाम के मजहबी क्रियाकलाप जैसे नमाज और रोजा केवल गैरमुस्लिमों को इस्लामी दुनिया में लुभाने के लिए खिड़की पर लगाए गए आकर्षक पर्दे के जैसे हैं, ताकि इस्लाम का रूप धार्मिकता और आध्यात्मिकता का दिखे। झूठा रसूल उसी तरह होता है जैसे कि शेर की खाल में भेड़िया।
- Rachel Abraham