✤┈SuNo ┤_★_🦋
नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
रोका नहीं,
उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी आज़ाद
कर दिया,
थी रूह उसकी परेशान, मेरे पास
रुककर भी,
सो ख़ुद ही मैंने इक ख़ामोश
अलविदा कह दिया,
"मोहब्बत थी, या आदत" ये
समझना मुश्किल था,
बस एक फ़ैसला जो मैंने यूँ नाशाद
कर दिया,
वो उड़ गया जहाँ को, जहाँ उसकी
मंज़िल थी,
मेरे लिए तो बस इक वीरान सा घर
आबाद कर दिया,
अब अक्सर सोचता हूँ, क्या ये
फ़ैसला सही था.?
कि अपने दिल को मैंने क्यों इतना
बरबाद कर दिया,
न कोई शिकवा अब है, न कोई
शिकायत लबों पर,
बस एक दर्द है जो सीने में मेरे
मुस्तक़िल याद कर दिया,
हां नज़र रखते हुए भी, मैंने उसको
रोका नहीं,
उसे पिंजरे से मेरे मैंने भी, आज़ाद
कर दिया...🔥
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
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