चाँद भी हैरान था, जब तेरी बात चली,
तारों ने रुककर पूछा – ये कौन सी दिल की गली?
हमने मुस्कुरा कर कहा – वो जो ख्वाबों से आगे है,
जिसे पाया नहीं, पर हर साँस में बसा रखा है।
वो हवा की तरह आई भी थी, गई भी थी,
पर इश्क़ उसके नाम का अब तक ठहरी हुई सी है।
कभी बारिश की बूँदों में दिख जाती है उसकी सूरत,
कभी ख़ामोशी में भी उसकी आवाज़ गूंजती है।
मोहब्बत हमने यूँ नहीं की थी,
वो तो रूह का हिस्सा बन गई धीरे-धीरे।
अब दुआ में नाम उसका आता है बेइख़्तियार,
जैसे खुदा ने भी उसे मेरे दिल के लिए चुना हो यार।