💔 उसे लगा कि धोखेबाज़ आज भी मैं ही हूँ,
दगा की उसने, और दग़ाबाज़ आज भी मैं ही हूँ।
आईने में चेहरा उसका ही बदला निकला,
पर आइना जो टूटा, क़सूरवार आज भी मैं ही हूँ।
ख़ामोश रहा मैं जब लफ़्ज़ों से ज़ख़्म दिए थे उसने,
हर ज़ख़्म के आँसू पी जाने वाला आज भी मैं ही हूँ।
वो मुस्कुरा कर चल दी किसी और की बाहों में,
मगर बेवफ़ा कहलाने वाला आज भी मैं ही हूँ।