Hindi Quote in Book-Review by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

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“कभी-कभी कोई रुकता नहीं… बस ठहर जाता है दिल में।”

कर्निका ने ट्रेन का टिकट हाथ में लिया और प्लेटफॉर्म की ओर देखा।
ट्रेन आने वाली थी। और वो जाने वाली।
या शायद — कुछ छोड़कर, खुद को फिर से चुनने वाली।

पिछली रात की बातें अब भी मन में गूंज रही थीं —
“अगर जाना ज़रूरी है, तो मत रुकना।
लेकिन अगर रुकना चाहो… तो सिर्फ़ इस मौसम के लिए मत रुकना।”

उसने रुकने का कारण चुन लिया था —
रिश्ता… जो नाम से परे था।
एहसास… जो शब्दों से नहीं, मौन से जुड़ा था।

कई बार किसी शहर की गर्मियाँ,
किसी दिल के अंदर ठंडी हवा बनकर उतर जाती हैं।

“मैंने खुद को चुना है,” कर्निका ने कहा था।
“और जो लोग मुझे मेरी सच्चाई में अपनाते हैं, वही मेरे हैं।”

काठगोदाम की गर्मियाँ सिर्फ़ एक प्रेम कहानी नहीं है —
ये उन रुक गए पलों की कहानी है जो कभी गुज़रे ही नहीं।
उन रौशनी की लकीरों की कहानी है जो भीमताल की खामोशी में चमकती हैं।
और उन लोगों की कहानी है — जो लौटते नहीं, पर हमेशा दिल में रह जाते हैं।

📚 अब पढ़िए वो कहानी जो अधूरी रहकर भी पूरी है।
#KathgodamKiGarmiyaan – एक सच्चे एहसास की यात्रा।

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Hindi Book-Review by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR : 111984452
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