Quotes by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Bitesapp read free

DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR Matrubharti Verified

@dhirendra342gmailcom
(162)

🧠 “जहाँ डर खत्म होता है, वहीं से ज़िंदगी जीतना शुरू करती है…”

अगर कभी आपको ऐसा लगा हो कि आप अंदर से टूट चुके हैं… कि डर, असफलता और दूसरों की राय ने आपको रोक रखा है — तो “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” आपके लिए है।

यह सिर्फ एक किताब नहीं, एक मार्गदर्शक है — जो आपको बताती है कि हार मानना स्वाभाविक है, लेकिन उसी हार में छुपी होती है जीत की पहली सीढ़ी।

📖 इस किताब में पढ़िए:
🔹 मनोवैज्ञानिक डर और उसके पीछे छुपी सोच
🔹 नया काम शुरू करते समय मन कैसे आपको रोकता है
🔹 और कैसे आप अपनी सोच को जीत में बदल सकते हैं

अगर आप self-help, personal growth और motivation जैसी किताबें पढ़ते हैं, तो ये किताब आपके जीवन की दिशा बदल सकती है।

📚 अब उपलब्ध है: Amazon, Flipkart, Kindle, Notion Press
✍️ लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट

#मनकीहार_जिंदगीकीजीत
#HindiMotivationBook #SelfHelpBooks #IndianAuthors #DhirendraSinghBisht #BookLoversIndia #BuyNow

Read More

🧠 “जहाँ डर खत्म होता है, वहीं से ज़िंदगी जीतना शुरू करती है…”

अगर कभी आपको ऐसा लगा हो कि आप अंदर से टूट चुके हैं… कि डर, असफलता और दूसरों की राय ने आपको रोक रखा है — तो “मन की हार, ज़िंदगी की जीत” आपके लिए है।

यह सिर्फ एक किताब नहीं, एक मार्गदर्शक है — जो आपको बताती है कि हार मानना स्वाभाविक है, लेकिन उसी हार में छुपी होती है जीत की पहली सीढ़ी।

📖 इस किताब में पढ़िए:
🔹 मनोवैज्ञानिक डर और उसके पीछे छुपी सोच
🔹 नया काम शुरू करते समय मन कैसे आपको रोकता है
🔹 और कैसे आप अपनी सोच को जीत में बदल सकते हैं

अगर आप self-help, personal growth और motivation जैसी किताबें पढ़ते हैं, तो ये किताब आपके जीवन की दिशा बदल सकती है।

📚 अब उपलब्ध है: Amazon, Flipkart, Kindle, Notion Press
✍️ लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट

#मनकीहार_जिंदगीकीजीत
#HindiMotivationBook #SelfHelpBooks #IndianAuthors #DhirendraSinghBisht #BookLoversIndia #BuyNow

Read More

📘 “फोकटिया” — जब रिश्ते बोझ बन जाएँ…

कभी आपने किसी को दिल से निभाया हो, बिना शर्त, बिना स्वार्थ… और बदले में सिर्फ चुप्पी, ताने या इस्तेमाल मिला हो?
अगर हाँ, तो “फोकटिया” आपकी अपनी कहानी है — जिसे लिखा है दिल से, धीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने।

यह सिर्फ एक दोस्त की कहानी नहीं है। यह उस हर एकतरफा रिश्ते की दास्तान है, जहाँ आप बस देते हैं — समय, पैसा, भावनाएँ — और बदले में सिर्फ खालीपन मिलता है।

“मैंने माफ़ किया, मगर भुलाया नहीं — क्योंकि वो यादें अब मेरी ताकत हैं।
मैं किसी को गिराना नहीं चाहता, लेकिन खुद को अब और नीचे नहीं झुकाना चाहता।”

📖 “फोकटिया” सिर्फ पढ़ने की किताब नहीं है — यह एक आईना है, जो आपको आपके ही जीवन के उन किरदारों से मिलवाएगा जिन्हें आप अब तक नज़रअंदाज़ करते आ रहे थे।

यह कहानी आपको सिखाएगी:
🔹 कब ‘ना’ कहना ज़रूरी होता है
🔹 कब चुप रहना कमजोरी नहीं, समझदारी होती है
🔹 और कब किसी रिश्ते को छोड़ देना ही खुद से वफ़ा होती है



🛒 अब उपलब्ध है Amazon और Flipkart पर!
🔍 सर्च करें: “Phokatiya – Dhirendra Singh Bisht”

#Phokatiya #DhirendraSinghBisht #ToxicRelationships #MustReadBook #HindiLiterature #EmotionalReads #IndianAuthor #BookstagramIndia #SelfRespect #BookRecommendation #किताबेंदिलसे

Read More

“हर किताब एक सफर है — मेरा भी और शायद आपका भी।”
मैंने जो भी लिखा, वो मेरे जीवन की सच्चाई से निकला है — कहीं टूटा हुआ पल, कहीं बिखरे जज़्बात, कहीं आशा की लौ।

📕 अग्निपथ — ये किताब संघर्ष की आग से गुजरने की कहानी है। जब रास्ता मुश्किल हो, और हालात साथ न दें, तब भी कैसे कोई अपनी राह बना सकता है — ये “अग्निपथ” बताता है। ये सिर्फ एक किताब नहीं, एक चुनौती है हर उस इंसान के लिए जो हार मानने को तैयार नहीं।

📘 मन की हार, ज़िंदगी की जीत — अंदर की हार ही सबसे बड़ी लड़ाई होती है। ये किताब उसी भीतरी युद्ध की कहानी है, जहाँ इंसान खुद से लड़ता है… और आखिर में खुद को ही जीतता है।

📗 काठगोदाम की गर्मियां — बचपन, पहाड़, स्टेशन और वो मासूमियत जो अब खो चुकी है… इस किताब में वो सब कुछ है जो हम भूल गए हैं। ये सिर्फ पढ़ने की नहीं, महसूस करने की किताब है।

📙 फोकटिया — नाम जितना सरल है, किताब उतनी ही गहरी। इसमें वो सब है जो हम अक्सर कह नहीं पाते — रिश्तों की उलझन, समाज की सच्चाई, और इंसान की असली परतें। ये किताब पैसों से नहीं, दिल से खरीदी जाती है।

इन चारों किताबों में कहीं ना कहीं आप खुद को पाएंगे — क्योंकि ये मैं नहीं, हम सबकी कहानियाँ हैं।
कभी वक़्त मिले, तो पढ़िए… शब्दों से ज़्यादा एहसास मिलेंगे।

📸 ये तस्वीर सिर्फ मेरी नहीं, उन सब लम्हों की है जो मैंने इन किताबों में जिए हैं।

धन्यवाद उन सभी पाठकों को, जिन्होंने मेरी किताबों को अपनाया, सराहा और उसे जीया। आप ही मेरे शब्दों की असली ताक़त हैं।

📦 सभी किताबें Amazon पर उपलब्ध हैं।
#अग्निपथ #मनकीहार_ज़िंदगीकीजीत #काठगोदामकीगर्मियां #फोकटिया #IndianAuthors #BookLovers #EmotionalReads #HindiBooks #AuthorLife

Read More

📚 “Phokatiya Kitab” – एक ऐसी किताब जो बिकने के लिए नहीं, बिखरने के लिए लिखी गई है।
ये शब्दों का शोर नहीं, खामोशियों की पुकार है। इसमें ना हीरो है, ना विलेन — बस वही लोग हैं जो आपके आस-पास हैं… और शायद आप भी।

यह किताब उस जज़्बात की है जो हम कभी कह नहीं पाते, उन रिश्तों की जो बोलते तो बहुत हैं… पर सुने नहीं जाते।

🖊️ “Phokatiya Kitab” पढ़िए अगर आपने कभी अकेले में खुद से बात की हो।
अगर आपकी आँखें कभी बिना वजह भर आई हों…
अगर भीड़ में भी कभी खुद को अनसुना महसूस किया हो।

📖 कहानी नहीं है ये, आईना है — जिसमें हर पाठक खुद को ढूँढ सकता है।

❤️ ये किताब फोकट की नहीं है… ये वो अमूल्य चीज़ है, जो पैसे से नहीं, एहसास से खरीदी जाती है।

👀 अब पढ़ रहे हैं लोग, और पूछ रहे हैं — ये लिख कैसे दिया?

Link in bio – दिल से पढ़िए, सिर से नहीं।
#PhokatiyaKitab #IndianAuthors #EmotionalRead #BookLovers

Read More

कभी किसी किताब ने आपको ऐसा महसूस कराया है, जैसे वो आपकी ही ज़िंदगी की कहानी हो?
“काठगोदाम की गर्मियाँ” वैसी ही एक किताब है — सीधी, सच्ची और बहुत गहराई से दिल को छू जाने वाली।

ये कहानी एक शहर की तेज़, आत्मनिर्भर लड़की कर्निका की है, जो कुछ दिनों के लिए काठगोदाम आती है — काम के सिलसिले में। लेकिन उन पहाड़ियों की ठंडी हवा, भीमताल की ख़ामोशी, और रोहन की चुपचाप मुस्कुराती हुई मौजूदगी उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल देती है।

यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि खामोश रिश्तों, अधूरी बातों और उन अहसासों की कहानी है जो हम अक्सर महसूस तो करते हैं, पर कह नहीं पाते।

अगर आपने कभी किसी को बिना कहे बहुत कुछ कह दिया हो…
अगर आपने किसी की आंखों में अपने लिए सवाल देखे हों…
अगर आपने कभी किसी जगह को अलविदा कहते हुए दिल भारी किया हो…
तो ये किताब आपके लिए है।

“काठगोदाम की गर्मियाँ” उन गर्मियों की कहानी है जो दिल में रह जाती हैं,
उन मुलाकातों की जो हमारी सोच से भी ज़्यादा असर छोड़ जाती हैं,
और उन चुप्पियों की जो सब कुछ कह जाती हैं।

📚 पढ़िए ये किताब अगर:
✔️ आपको कहानियों में सच्चाई चाहिए
✔️ आप भावनाओं को जीना जानते हैं
✔️ और आप किसी किताब से सिर्फ कहानी नहीं, एक एहसास चाहते हैं

🛒 Available now on Amazon, Flipkart & Notion Press
📬 DM for signed copies
💬 अगर आपने पढ़ी है, तो कमेंट में लिखिए — “मैं भी उन गर्मियों में था…”

#काठगोदाम_की_गर्मियाँ #HindiBookLovers #EmotionalReads #BookstagramHindi #IndianAuthors #DhirendraSinghBisht #BookQuoteHindi #BooksThatFeel #HindiLiterature #NewHindiBooks

Read More

“कनिका ने नमन को गले लगाया… ये अलविदा नहीं था — ये वादा था, जो वक़्त से बंधा नहीं था।”
कुछ रिश्ते छूटते नहीं, वो बस थोड़ी देर के लिए उड़ जाते हैं… और अगर वो सच्चे हों, तो लौट भी आते हैं।

“काठगोदाम की गर्मियाँ” एक ऐसी कहानी है जो आपकी यादों की गलियों से होकर गुज़रती है — दोस्ती, प्यार, और उस खामोश जुड़ाव की, जिसे कभी कहा नहीं गया, बस महसूस किया गया।

नमन और कनिका की ये कहानी आपको याद दिलाएगी कि कभी-कभी किसी को छोड़ना दरअसल उसे पूरी तरह पा लेना होता है — क्योंकि सच्चा प्यार वक़्त नहीं मांगता, वो लौट आने की वजह ढूंढ ही लेता है।

📚 अगर आपने कभी किसी को अलविदा कहा हो… लेकिन दिल में आज भी उसके लौटने की उम्मीद जिंदा हो —
तो “काठगोदाम की गर्मियाँ” सिर्फ एक किताब नहीं, आपकी अपनी कहानी है।

👇
अब उपलब्ध है — Amazon और Flipkart पर।
#KathgodamKiGarmiyaan #EmotionalReads #DhirendraSinghBisht #PhokatiyaSeries #HindiLiterature #BookstagramIndia #PyarKiKahani #SoulfulBooks

Read More

“फोकटिया” सिर्फ एक किताब नहीं है — ये उन आवाज़ों की कहानी है जिन्हें कभी कोई सुनना नहीं चाहता था।

जिन्हें समाज ने हाशिये पर रखा, जिन्हें कभी गंभीरता से नहीं लिया गया, और जिनकी बातों को अक्सर “फोकट” कहकर टाल दिया गया — उनकी ज़िंदगी के अनुभवों में ही असल गहराई छुपी होती है।

फोकटिया उन्हीं लोगों की जुबान है।
वो लोग जो खुद को साबित नहीं करना चाहते, पर उनका हर खामोश लफ्ज़ कुछ कहता है।
वो लोग जो बड़ी डिग्रियों से नहीं, बड़ी समझ से जिए हैं।
वो लोग जिनके पास कम था, पर ज़िंदगी को देखने का नजरिया बहुत ज्यादा था।

इस किताब में आपको मिलेंगे ऐसे किरदार —
जो हंसते हैं जब टूटते हैं,
जो देते हैं जब खुद के पास कुछ नहीं होता,
और जो सवाल नहीं, जवाब बनकर सामने खड़े होते हैं।

📚 अगर आपने “फोकट में बोलने वालों” को कभी नजरअंदाज़ किया है,
तो यह किताब पढ़िए — शायद वही बातें आज आपको अंदर तक हिला दें।

✍️ लिखी है दिल से, कही गई है सच्चाई से,
“फोकटिया” पढ़िए और ज़िंदगी को नए नज़रिए से देखिए।

👇
📖 Now available on Amazon / Flipkart
📬 DM for signed copies
💬 Comment below if you know a फोकटिया in your life — या शायद आप ही हैं एक!

#Phokatiya #HindiBook #DhirendraSinghBisht #IndianAuthor #BookLovers #ZindagiKiKahani #InspirationThroughWords #EmotionalReads #BackbencherToPhilosopher #LifeLessons #Bookstagram

Read More

“फोकटिया” कोई नाम नहीं, एक दर्द की पहचान है।
जिसे दुनिया ने कभी समझा ही नहीं, उसी ने पूरी दुनिया को समझने की ठान ली।

वो न भाग्य से लड़ा, न भगवान से—पर हालात से कभी हार नहीं मानी।
हर तमाचा, एक सीख बन गया, और हर ठोकर, एक नई राह।

जिसे सबने फालतू कहा, वही अपने जज़्बातों की कीमत खुद चुकाता गया।
कभी मां के आँचल में सुकून ढूंढा, तो कभी भूखे पेट सपने बोए।

“फोकटिया” की यही तो पहचान है—जो किसी के लिए कुछ नहीं, वो खुद के लिए सब कुछ बन जाए।

वो हर वो चीज़ जानता है जो किताबों में नहीं मिलती—
जैसे भूख का स्वाद, अकेलेपन की चीख, और भीड़ में गुम हो जाने का एहसास।

जब रिश्तों ने साथ छोड़ा, तो उसने खुद से रिश्ता बना लिया।
टूटकर भी मुस्कराना सीखा, और गिरकर भी खड़ा होना नहीं छोड़ा।

दुनिया ने उसके होने को मज़ाक समझा, पर उसने अपनी खामोशी को आग बना दिया।

ना उसे दिखावे की ज़रूरत थी, ना सहानुभूति की भूख—
वो तो बस चाहता था एक मौका, खुद को साबित करने का।

फोकट में जन्मा था, पर जिंदगी भर हर चीज़ की कीमत चुकाई है।
कभी सपनों से, कभी अपनों से, और कभी अपनी ही सच्चाई से।

हर insult ने उसे और मजबूत बनाया, हर rejection ने उसे खुद के और करीब किया।

वो आज भी मुस्कराता है, क्योंकि उसे रोना नहीं आता—
और शायद इसीलिए, लोग उसे “फोकटिया” कहते हैं।

“फोकटिया” वो है जो ज़माने से कुछ नहीं चाहता, सिवाय इस बात के कि कोई उसे समझे।
और जब कोई नहीं समझा, तो उसने अपनी कहानी खुद लिख दी।

***

यह किताब सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं है, ये एक जिद की दास्तान है।
हर पन्ना, हर लाइन, एक अनकही चीख है—जो कहती है:
“मैं फोकटिया नहीं हूँ… मैं बस थोड़ा अलग हूँ।”

Read More

“कभी-कभी कोई रुकता नहीं… बस ठहर जाता है दिल में।”

कर्निका ने ट्रेन का टिकट हाथ में लिया और प्लेटफॉर्म की ओर देखा।
ट्रेन आने वाली थी। और वो जाने वाली।
या शायद — कुछ छोड़कर, खुद को फिर से चुनने वाली।

पिछली रात की बातें अब भी मन में गूंज रही थीं —
“अगर जाना ज़रूरी है, तो मत रुकना।
लेकिन अगर रुकना चाहो… तो सिर्फ़ इस मौसम के लिए मत रुकना।”

उसने रुकने का कारण चुन लिया था —
रिश्ता… जो नाम से परे था।
एहसास… जो शब्दों से नहीं, मौन से जुड़ा था।

कई बार किसी शहर की गर्मियाँ,
किसी दिल के अंदर ठंडी हवा बनकर उतर जाती हैं।

“मैंने खुद को चुना है,” कर्निका ने कहा था।
“और जो लोग मुझे मेरी सच्चाई में अपनाते हैं, वही मेरे हैं।”

काठगोदाम की गर्मियाँ सिर्फ़ एक प्रेम कहानी नहीं है —
ये उन रुक गए पलों की कहानी है जो कभी गुज़रे ही नहीं।
उन रौशनी की लकीरों की कहानी है जो भीमताल की खामोशी में चमकती हैं।
और उन लोगों की कहानी है — जो लौटते नहीं, पर हमेशा दिल में रह जाते हैं।

📚 अब पढ़िए वो कहानी जो अधूरी रहकर भी पूरी है।
#KathgodamKiGarmiyaan – एक सच्चे एहसास की यात्रा।

🔗 लिंक बायो में | Available now on Matrubharti & Amazon

#HindiNovel #LoveStory #EmotionalRead #BookstagramIndia #IndianAuthor #DhirendraSinghBisht #NewBookAlert #OneSidedLove #KumaonDiaries

Read More