लेट लतीफ़ :-
देर से आना बड़े लोगों की शान है,
जो जितना लेट पहुंचे उतना ही महान है।
एक बार एक शादी करनी थी अटैंड,
हम वहां पहुंचे तो बज रहा था बैंड़।
स्वागत बारात का समय सात लिखा था,
श्रीमती जी भी बोली ,हां ऐसा ही दिखा था।
दुल्हा था घोड़ी पर बांधे हुए सेहरा,
फूलों में छिपा हुआ ,हम देख ना सके चेहरा।
रही है वो शादी जिसमें था हमें आना,
समय व स्थान सही था ,इसलिए हमने माना।
लोग सभी गैर थे चेहरे लग रहे थे पराये,
हम थे प्रतिक्षा में, कोई जिनकार तो आये।
किसी से हमने पूछा, कहां हैं लड़के के पापा,
भारी भरकम को देखअपना कलेजा कांपा
कौन है यह आदमी, किसका है यह ब्याह,
क्या यही वह बारात है आना था हमें जहां
कहने लगे भरकम जी ,देग हमारा मुंह
दो घंटे लेट चले हर बारात समूह ।
यह बारात है पांच की, पहूंची यहां पर सात
तुम्हें न्योता सात का, चलना था नो के बाद
नो के बाद चलकर देर से शादी में गर आते
बड़े लोगों की तरह तुम भी सम्मानित हो जाते