राष्ट्र यहीं, देश यहीं
राष्ट्रीय प्रेम यहीं,
प्रेम के पत्र यहीं
अनन्त सशक्त शौर्य यहीं।
धूल यहीं है,बूँद यहीं है
अमृत यहीं, गरल यहीं,
अणु यहीं, परमाणु यहीं
अमृत-विष कुम्भ यहीं।
छिड़ा हुआ युद्ध यहीं
शत्रु का विनाश यहीं,
भारत का वन्दन यहीं
सनातन क्षितिज यहीं।
** महेश रौतेला