ℕ𝕠 𝕥𝕚𝕥𝕝𝕖 𝕥𝕙𝕚𝕤 𝕥𝕚𝕞𝕖....
Today I tried something different ...but why? Because I want , 😂😂
so here it is..........
महकते इन फूलों की कतार में,
बिखरती इन हवाओं की बहार में,
क्या है ये मांझरा समझ नहीं आ रहा
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।
ये दुनिया, ये जहाँ, ये आसमां ,कभी पूरा देखा ही नहीं मैने,
फिर भी अपनी लगती है वो इस बेगाने संसार मे....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।
कभी हकीकत, कभी फसाना, एक सपना सा लगती है वो ,
देखने उसकी झलक महफ़िल सजी है दिल के सभागार में....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।
देखा था उस दिन गीले खुले बालों में हाथों को जोड़े हुए,
शायद मांग रही थी किसी को सावन के सोमवार में....
क्यूँ दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में ।
गलती से नजर टकरा गई उसकी नजरों के गहरे समंदर से ,
फिर तो फसना ही था लहरों की मंझदार मे......
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।
वो उसका नजरें झुकाना, झुकाके उठाना उफ़ क्या कहु मैं ,
ऐसा लगता हैं जैसे रोशनी छा गई हो वीरान बाजार मे.....
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।
मै तो ठहरा गरीब पर दिल बड़ा अमीर है मेरा शायद,
आजाए एक मुस्कान उसके चेहरे पर ऐसा क्या दू उपहार मे..
दिखती है वो मुझे बरसती बूँदों की फुहार में।
.....#𝙅𝙪𝙨𝙩 𝙖 𝙨𝙖𝙮𝙖𝙧𝙞.....😅😅
There is lack of something........
I think (Feelings) 😜😜
----- by प्रतिभा