#Rebellious /बागी


ललक ज्ञान की,
महक ध्यान की,
पर विषयों से मोह,
तभी मौन रह,
मन कहता है,
छूटे कैसे छोह?

छूटे कैसे छोह,
खोह है बड़ी भयंकर,
शिव-शिव जपता मगर,
सामने रखता कंकर।

तू कंकर का अनुरागी है,
फिर कैसा बैरागी?
तेरा मन चंचल का चंचल,
तुझे बनाता बागी।।

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111469567
shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अति सुंदर सृजन...

Priyan Sri 4 year ago

क्या बात है 👏👏👏

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