हर शाम तुम्हारा ही इंतजार किया है ,
ख़ुद से ज्यादा तुमसे प्यार किया है ,
ज़माने की तमाम दलीलों को सुनी है ,
बस एक तुम्हारा ही ऐतबार किया है ,
तुमको चाहा और जां निसार किया है ,
तुमने धड़कनों में इख्तियार किया है ,
चाहा नहीं पल भर भी तुम जुदा हो ,
बस इस लिए तुम्हें गिरफ़्तार किया है ,
तमाम बातों को यूं अखबार किया है ,
ख़ुद को खुद से ही शर्मशार किया है ,
वो वादें नहीं करता जो निभा न पाऊं ,
हूं गलत पर ख़ुद को वफादार किया है ,
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