कल सुबह नहीं, सॉरी, परसों मध्यरात्रि के ठीक बाद, यानी 11 नवंबर 2025 की तड़के सुबह करीब 3 बजे – भारतीय मीडिया के 'ब्रेकिंग न्यूज' के महारथियों ने फिर कमाल कर दिया। धर्मेंद्र जी, हमारे ही-मैन, 'शोले' वाले गब्बर-किलर, अचानक 'मृत' घोषित हो गए! स्क्रीन पर लाल पट्टी, भारी आवाज़: "धर्मेंद्र का निधन! वेंटिलेटर पर थे, अब नहीं रहे!" आज तक, इंडिया टुडे, न्यूज18, जी न्यूज सबने एक साथ 'सूत्रों' का हवाला देकर गोता लगा दिया। कुछ अखबारों ने तो सुबह की हेडलाइन सजा ली "बॉलीवुड का सूर्य अस्त!"
परिवार वाले तो स्तब्ध! हेमा मालिनी जी सुबह 9:40 बजे ट्वीट करके चिल्लाईं "ये क्या बकवास है? वो बिल्कुल ठीक हैं!" ईशा देओल ने इंस्टा पर पोस्ट डाला, "पापा स्टेबल हैं, प्राइवेसी दो, फेक न्यूज बंद करो!" सनी देओल ने भी साफ कहा "वेंटिलेटर वाली खबर झूठी है।" लेकिन भाई, मीडिया कहाँ रुकने वाला था? TRP की भूख में सितारे भी मर जाते हैं, चाहे वो जिंदा ही क्यों न हों!
और ये तो बस एक और एपिसोड था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के वक्त भी यही नाटक हुआ था – फर्जी वीडियो, फेक वॉर रूम, पाकिस्तान तक ने दो भारतीय एंकर्स को 'डिसइन्फॉर्मेशन अवॉर्ड' दे दिया! पुलवामा, किसान आंदोलन, कोविड हर बार यही कहानी।
क्यों? क्योंकि अब स्टूडियो में जो बैठे हैं, वो वही 'स्नातक' हैं जिन्होंने व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से डिग्री ली है। फॉरवर्ड मैसेज = फैक्ट, वायरल सच्चाई। फैक्ट-चेक? अरे वो तो पुरानी किताबों में है! इनका मंत्र "जितना सनसनीखेज, उतना सही!"
तंज कसना बनता है, क्योंकि ये मीडिया नहीं, मीडिया सर्कस है। रिंगमास्टर है TRP, और जोकर हैं ये व्हाट्सएप वाले 'जर्नलिस्ट'!
लेकिन आखिर में, उस पत्रकारिता को सलाम जो कभी सच की मशाल थी। उस भारतीय न्यूज मीडिया को श्रद्धांजलि, जो कभी सच बोलता था, न कि चिल्लाता था।
तुम्हें नमन, जो कभी-कभी अब भी चमकते हो – जैसे धर्मेंद्र जी की मुस्कान, फेक मौत के बावजूद अमर!
जय हिंद, जय सच्चाई... और RIP फेक न्यूज! 🙏😂