मैं और मेरे अह्सास
होठों की शहनाई
होठों की शहनाई दिल से निकलने वाले मीठे
सुरों से बजती हैं l
प्यार में भरपूर मोहब्बत से छलकने वाले मीठे
सुरों से बजती हैं ll
दीपावली में तयखाने की सफाई में मिली हुई
सालों से कैद वो l
पुरानी तस्वीरों को देखकर बहकने वाले मीठे
सुरों से बजती हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह