अज्ञात अज्ञानी (Agyat Agyani)
एक समकालीन भारतीय आध्यात्मिक लेखक, चिंतक और शोधकर्ता हैं, जिनका लेखन आत्मज्ञान, चेतना, अस्तित्व और जीवन के मूल तत्त्वों पर केंद्रित है। उनका उद्देश्य धर्म या मत से परे, प्रत्यक्ष अनुभव और मौन साधना के माध्यम से आत्मदर्शन को जाग्रत करना है
परिचयअज्ञात
अज्ञानी स्वयं को “खोजकर्ता” और “मौन साधक” कहते हैं, जिनकी रुचि धर्म, विज्ञान और चेतना के संगम में है। वे किसी परंपरा या मत से बंधे नहीं, बल्कि मौन और अनुभव को ही अपना गुरु मानते हैं ।
उनका दृष्टिकोण यह है कि जब मनुष्य स्वयं को "अज्ञात" और "अज्ञानी" स्वीकार करता है, तभी सच्चा आत्मज्ञान प्रारंभ होता है ।
।प्रमुख विषय और लेखन शैलीआध्यात्म,
चेतना और अनुभव पर केंद्रित सूत्रात्मक लेखनविज्ञान और धर्म के बीच संवाद की खोजजीवन, मृत्यु और आत्मबोध पर चिंतनशैली: सूत्रात्मक, मौन आधारित, “Upanishadic” धारा के समान
प्रमुख रचनाएँ
अज्ञात गीता — जीवन, धर्म और मौन की खोज पर केंद्रित ग्रंथ
शब्द उपनिषद — भाषा, दर्शन और ध्यान के संगम को प्रस्तुत करने वाला प्रयोगात्मक ग्रंथ; इसमें “मौन से विज्ञान तक” की यात्रा वर्णित है ।
दर्शनिक दृष्टि अज्ञात अज्ञानी का मानना है कि मानव जब अपनी ज्ञात पहचान और अहंकार को छोड़ देता है, तब "अस्तित्व" शेष रहता है और वहीं से आत्मज्ञान की यात्रा आरंभ होती है। वे अनुभव को ही धर्म का मूल सत्य मानते हैं, किसी बाहरी मत या शास्त्र की पुनरावृत्ति को नहीं
।इस प्रकार, अज्ञात अज्ञानी समकालीन भारतीय अध्यात्म के उन लेखकों में हैं जो पारंपरिक ग्रंथ-आधारित अध्यात्म को नई भाषा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं ।