मैं और मेरे अह्सास
मंज़िल
गम ना कर मंज़िल का रास्ता मिल जाएगा l
चाहत से भरपूर साथी नया मिल जाएगा ll
यू इधर उधर घूमने की जरूरत क्या है कि l
दिलबर के घर का जल्द पता मिल जाएगा ll
फ़िक्र ना कर दुनिया गोल है इतना जान ले l
एक बंध हो तो दरवजा दूसरा मिल जाएगा ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह