मैं और मेरे अह्सास
बाढ़ के प्रकोप
यादों की बाढ़ के प्रकोप से आँखों में सुनामी आई है l
साथ अपने आंसुओं की तेज बारिश को भी लाई हैं ll
अब तो आदत सी हो गयी है दर्द सहने की क्योंकि l
कोई नई बात नहीं है कि दर्द से सालों पुरानी शनाशाई हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह