"बारिश और यादें"
ये बारिश की बूँदे आज मुझे भिगोने लगी,
बरसों से सोए मेरे अरमानों को जगाने लगी।
फलक से गिरती ये छम-छम करती बूँदे,
मेरे कानों में एक मधुर सी धुन गुनगुनाने लगी।
चेहरे को छूकर ज़ब बूँदे टकराई मेरी पायल से,
ये पायल भी फिर बेबाक सी होकर थिरकने लगी।
अश्रु छलके और बूंदो में घुलकर जा गिरे ज़मीं पे,
ज़ब माज़ी की यादें मेरे दिल को सताने लगी।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
माज़ी = अतीत