🌾 धान का पहला फूल 🌾
खेतों में आई, पहली खुशबू,
धरती हँसी, जैसे कोई नव रूप।
सपनों में सोना, चमका अनमोल,
आया है धान का, पहला सा फूल।
माँ की दुआ, पसीने का रंग,
मेहनत से खिलते, जीवन के संग।
चाँद भी देखे, झुककर यह भूल,
आया है धान का, पहला सा फूल।
गाँव के आँगन, गूँजे पुकार,
"भर देंगे कोठी, अबकी इस बार।"
मिट्टी में छुपा, आशा का मूल,
आया है धान का, पहला सा फूल।
अन्नदाता की आँखों में नूर,
सच्चे सुख का यही दस्तूर।
धरती के कण-कण में रस घुल,
आया है धान का, पहला सा फूल।
Writer -
Dharmendra Kumar