चौपाई
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तुमने जब है रंग दिखाया।
बड़ा मज़ा मुझको है आया।।
पर हमको दुख बहुत हुआ है।
कल होना वो आज हुआ है।।
आखिर तुमको क्या कहना है।
धार इसी कब तक बहना है।।
अपनी कोशिश जारी रखना।
बोझा मन पर भारी रखना।।
जाने क्या-क्या भूल गए हैं।
लाज-शर्म सब घोल पिए हैं।।
क्या कोई अपराध किया है।
भूल सभी की माफ किया है।।
संसद का अब काम नहीं है।
लगता है आराम नहीं है।।
सड़कों पर इनको अब लाओ।
इनको सच का रुप दिखाओ।।
माननीय जी इतना कीजै।
पहले काम दाम फिर लीजै।।
जनता तो है भोली-भाली।
हाथ सदा रखते हैं खाली।।
आज समय का देखो खेला।
लगा हुआ है चहुँदिश मेला।।
समय साथ ही चलना होगा।
सबको आज बदलना होगा।।
सुधीर श्रीवास्तव