श्रीकृष्ण धरा पर आओ
**********
आज सुबह मित्र यमराज
भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के आयोजन में
शामिल होने के लिए मुझे बुलाने आ रहा थे,
रास्ते भगवान श्रीकृष्ण मिल गये
यमराज के तो जैसे भाग्य खुल गए।
यमराज ने उन्हें साष्टांग प्रणाम किया
और फिर अपनी पर आ गया,
देखो प्रभु ! बड़े दिनों से आपको खोज रहा हूँ
अपने तमाम प्रश्नों को लेकर भटक रहा हूँ,
अब गायब मत हो जाना,
मेरे सवालों का जवाब देकर ही जाना।
मुझे पता है कि आपकी लीला बड़ी निराली है,
इसीलिए तो आपको अब तक खोजता आ रहा हूंँ,
बड़ी मुश्किल से अब आप मिल ही गये हो
तो पहले यह बता दो, आप कहाँ विचर रहे हैं?
क्या ट्रंप- पुतिन वार्ता की मध्यस्थता करके लौट रहे हैं,
या अपने जन्मोत्सव की तैयारियों का
जायजा लेते फिर रहे हो?
जो भी हो! मुझे क्या फर्क पड़ता है ?
बस! मुझे तो आप इतना भर बता दो
कि आपकी जन्मभूमि का विवाद कब हल होगा?
या और कितना लंबा चलेगा?
कृष्ण जी तो अपने में मगन मंद-मंद मुस्कुराते रहे।
यमराज समझ गया और फिर कहने लगा
आप कनहीं बताना चाहते तो भी कोई बात नहीं
कुछ और पूछता हूँ, कम से कम इसका ही उत्तर दे दो
आप कल्कि अवतार कब ले रहे हो?
दिन, दिनांक, माह, वर्ष ही बता दो।
यमराज को देखते हुए कृष्ण जी फिर भी मुस्कराते रहे।
यमराज की बेचैनी बढ़ने लगी
वह भगवान कृष्ण के चरणों में गिर पड़ा
और कातर स्वर में कहने लगा
मैं समझ गया हूँ प्रभु!
आप कुछ बताकर मेरा भाव नहीं बढ़ाना चाहते हो,
या फिर मुझसे बचकर निकल जाना चाहते हो।
या धरती पर बढ़ते पाप की ओर
ध्यान ही नहीं देना चाहते हो।
एक द्रौपदी की लाज बचाकर बड़ा गुमान कर रहे हो,
आज जो हो रहा है, क्या उसे देख नहीं पा रहे हो,
या धरतीवासियों को गुमराह कर रहे हो।
कितनी मातृ-शक्तियों की लाज रोज-रोज लुट रही है
नन्हीं - मुन्नी बच्चियां, दादी नानी की उम्र की नारियां भी
अब तो रोज ही लुट पिट कर बेइज्जत हो रही हैं
सिर्फ अस्मत ही नहीं, प्राणों से भी हाथ धो रही हैं,
कहीं भी, कभी भी डर-डर कर जी रही हैं।
इतना ही नहीं, धरती पर क्या कुछ नहीं हो रहा?
जिसे आप देख नहीं पा रहे हो
या फिर नीति-अनीति, धर्म -अधर्म की बात भूल गए हो।
हर वर्ष धरती पर अपने जन्मोत्सव से
बड़ा मगन हो सिर्फ बाँसुरी बजा रहे हो।
हे प्रभु! अब मौन छोड़ो और कुछ लीला करो
धरा पर आओ और पापियों को दंड दो
धरती का बोझ अब कुछ कम करो।
समय आ गया है कि आप गंभीरता से विचार करो,
नाहक अपना नाम और खराब न करो।
भगवान कृष्ण ने मौन तोड़ उत्तर दिया
वत्स! मैं सब कुछ देख, सुन, समझ रहा हूँ
तेरे मन की पीड़ा को भी अच्छे से महसूस कर रहा हूँ
पर कलयुग को भी
अपने रंग दिखाने का अवसर दे रहा हूँ,
धरती पर जो कुछ भी हो रहा है
उसके एक-एक पल का हिसाब-किताब रख रहा हूँ
और सही समय का इंतजार कर रहा हूँ।
मैं आऊँगा, मुझे आना ही है, यह भी निश्चित है
पापियों के पाप का घड़ा भरता जा रहा है
जो मुझे भी उद्वेलित कर रहा है,
नारियों की पीड़ा मेरे अंर्तमन को झिंझोड़ रही है।,
कैसे तुझे बताऊँ कि कैसे अपनी बेबसी से लड़ रहा हूँ
धरा पर आने के लिए समय से दो-दो हाथ कर रहा हूँ,
अपने आने के नियत समय का
बेसब्री से इंतजार कर रहा हूँ।
यमराज उठकर खड़ा हो गया और कहने लगा
प्रभु! मैं इतना ज्ञानी नहीं
जो आपकी गूढ़ बातों का रहस्य जान सकूँ,
मैं तो बस सिर्फ इतना चाहता हूँ
कि आप शीघ्रताशीघ्र धरा पर आओ,
जो भी करना ठीक समझते हो, करो
कम से कम अब तो अपनी जिम्मेदारी निभाओ,
बहन बेटियों की लाज बचाओ
पापियों का नाश करो, धरा पर खुशहाली लाओ
और फिर चाहे माखन चुराओ, बाँसुरी बजाओ,
गाय चराओ, रासलीला रचाओ या फिर लीला दिखाओ,
मगर अब फिर से धरा पर आ जाओ,
अब और न इंतजार कराओ,
धरती के प्राणियों संग मुझ पर भी
अपनी थोड़ी बहुत कृपा बरसाओ,
हे गीता के उपदेशक अब मान भी जाओ,
और आकर अपना सुदर्शन चक्र चलाओ।
सुधीर श्रीवास्तव