"मोहब्बत नहीं है"
मोहब्बत में उसकी वो शिद्दत नहीं है,
शायद उसे अब मेरी ज़रूरत नहीं है।
हर इक रोज़ बदलता है मिज़ाज उसका,
रंग बदलने की मुझे फ़ितरत नहीं है।
वो रिश्तों में भी करता है सौदे-बाज़ी,
ये मोहब्बत है, कोई सियासत नहीं है।
ग़म-ए-ज़िंदगी से यूँ नाता रहा मेरा,
मुझे ज़्यादा ख़ुशी की आदत नहीं है।
वफ़ा की तलाशें हैं यहाँ बेवफ़ाओं में,
मगर ऐसे सफ़र की मुझे हिम्मत नहीं है।
बहुत सोचा मैंने कि समझाऊँ उसे लेकिन,
किसी पत्थर को समझाने की क़ाबिलियत नहीं है।
सफ़र में मिले ग़म तो चुपचाप सह लिए,
ज़ुबाँ पर कभी कोई शिकायत नहीं है।
अदब तो अभी तक है बातों में उसकी,
मगर आँखों में पहले-सी राहत नहीं है।
लबों पर तो है इश्क़ के चर्चे बहुत से,
मगर "कीर्ति" से उसको मोहब्बत नहीं है।
Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️