आज हम आधुनिकता की होड़ में मुहल्ले की कानाफूसी से बहुत दूर हो चुके हैं टीवी और मोबाईल के इस दौर में अपनों से तो दूर हुए ही अपने मोहल्ले से भी अजनवी हो गए अब हम ज्यादातर इंटरनेशनल और नेशनल की खबरों के चक्कर में मुहल्ले की बहुत सी अच्छी और बुरी घटनाओ से कब के दूर हो चुके ये हमें पता ही नहीं चलता हैं....
देखा जाए तो एक समय था जो मध्यम वर्ग का मोहल्ला छोटी बड़ी घटनाओं का बड़ा ड्रामा होता था ज़ब ग़म भी पड़ोसी के साथ बाँटा जाता था और मज़ाक भी। जब यही तो मध्यम वर्ग की असली ताक़त था – शिकायत बहुत करता थी अब भी हैं, -लेकिन बिना मोहल्ले के जी भी तो नहीं सकते।
ऐसी ही घटनाओ की एक सीरीजके माध्यम से झग्गू पत्रकार आप तक पहुंचाएंगेमातृभारती पर तैयार रहें झग्गू पत्रकार के साथ आप भी आपने मोहल्ले में लौटे और जाने आपके मोहल्ले की हर खबर.