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ज्ञान की रोशनी
ज्ञान एक ऐसी रोशनी है,
जो हर घर के आँगन से होकर गुजरती है,
हर दिल को छूकर जाती है,
फिर भी कोई उसे थाम नहीं पाता।
क्योंकि लोग बंधे हैं जंजीरों में,
जाति, धर्म और परंपराओं के जाल में उलझे हैं,
सच सामने खड़ा है साफ़-साफ़,
पर आँखें खोलने की हिम्मत किसे है?
अंधकार को ही उजाला मान बैठे हैं,
पाखंड को ही धर्म कह देते हैं,
और सच की पुकार अनसुनी रह जाती है,
बस खामोशी के बोझ तले दब जाती है।
ज्ञान न किसी का है, न किसी का बंधुआ,
वो तो अनंत है, सबके लिए है।
जिसने आँखें खोलीं, दिल साफ़ किया,
वो रोशनी उसी का मार्ग आलोकित करती है।