Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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कच्चे धागों की ताकत
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कविता से जुड़ा आभासी रिश्ता
जब वास्तविकता के धरातल पर उतरा,
तब उम्मीदों से अधिक परवान चढ़ गया
और आज नेह बँधन में बँधकर
नूतन आयाम तक पहुँच गया।
जीवन के उत्तरार्ध में ईश्वर का
अनुपम, अनोखा प्रसाद मिल गया,
सहसा विश्वास नहीं होता
पर सच से मुँह भी तो मोड़ा नहीं जा सकता।
क्योंकि कल तक अनजान, अपरिचित चेहरे और नाम
आज विश्वास का आधार बन गये,
बिना किसी भेद-भाव, जोर दबाव के
रिश्तों की डोर में मजबूती से बँध गये,
राखी की डोर से और मजबूत कर गये।
आज किसी की बहन, तो किसी के भाई हो गये
अपने कर्तव्यों, जिम्मेदारियों को स्वत: ओढ़ गये
एक अन्जाने परिवार का हिस्सा बन गये।
माता-पिता, बहन- बेटी, भाई- बहन,
भतीजा- भतीजी, मामा- भांजा, भांजी
बुआ- फूफा, मौसी - मौसा के नये रिश्ते
विश्वास की बदौलत मजबूत हो गये।
यह ताकत सिर्फ राखी के धागों में ही हो सकती है।
जो किसी को किसी की बहन या भाई बना देती है,
किसी बेटी को एक और मायके का सूकून दे जाती है,
अन्जान लोगों को रिश्तों के अटूट बंधन में
मजबूती से बाँधकर वो मुस्करा देती है।
कल तक जो एक दूसरे को जानते पहचानते तक नहीं थे
एक दूजे से मिलने या बातचीत करने तक में झिझकते थे,
नैतिकता, मर्यादा और सामाजिक बंधनों का
भरपूर सम्मान करते हुए आगे बढ़ते।
वही आज लड़ते-झगड़ते, शिकवा -शिकायतें करते
सुख-दुख, तीज- त्योहार में भी साथ होते हैं,
अपने अधिकार जताते, जिद करते
कर्तव्य पर भी खुशी-खुशी आगे बढ़ते हैं,
राखी के सौगातों का आभार धन्यवाद करते हैं
रिश्तों को पूरा सम्मान देते और पाते हैं,
रिश्तों में अब तक की कमी भी भूल जाते हैं,
जब राखी के धागों से नये रिश्ते, नये बँधन
नव विश्वास की नींव पर
जब नवजीवन आधार के फूल खिलाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111993120
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