Hindi Quote in Poem by नंदलाल मणि त्रिपाठी

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परम्परिक मूल्यों का संरक्षण ---

बिखर जाता राष्ट्र समाज
विसार देता ज़ब स्वंय कि
परम्परा परम्परागत मूल्य
राष्ट्र समाज!!

राष्ट्र समाज स्व को
खोजता स्व को ही जान
पहचान नही पाता!!

स्व विसर्जन बिसार
स्व का करता समय
राष्ट्र समाज!!

राष्ट्र समाज पहचान साक
परम्परा परमारगत मूल्य
संस्कृति अतीत आचरण
विचार व्यवहार!!

जीवेत जाग्रत राष्ट्र समाज
अभिमान परम्परा मूल्य
सत्यार्थ जीवन समाज
राष्ट्रीय चेतना सत्कार!!

राष्ट्रीय जागरण सामाजिक
चेतना युग काल समय बैभव
परम्परा मूल्य महिमा महान

स्वं परम्परा शास्त्र पराक्रम
निगम निर्भय निर्विकार
निःस्वार्थ निर्माण शिकर
विकास!!

परम्परा परम्परागत मूल्य
नैतिकता निर्वहन निर्मल
नीरझर धीर धैर्य राष्ट्री समाज
धन्य धार!!

परम्परा मूल्यों का ह्रास
राष्ट्र समाज अस्तित्व का
विनाश स्व का सर्वनास!!

वर्तमान परिहास अतीत
अभिमान बिरोचित गाथा
अपमान!!

मुक प्रतंत्रता का पथ पग
भविष्य भाष्य!!

परम्परा मूल्यों का
संरक्षण राष्ट्र समाज
ध्येय धर्म संवर्धन
इतिहास गौरव वर्तमान का
भूषण आभूषण भाव
भविष्य अभिनन्दन!!

आत्म ईश परमतत्त्व
परमात्म राष्ट्र समाज का
जन जाग्रति अध्यात्म चित्त
चेतन संस्कार!!

परम्परा मूल्यों का
संरक्षण जन्म जीवन
प्राणी प्राण प्रणम्य
प्रणाम प्रेम सार
परमार्थ कल्याण!!

परम्परा पारम्परिक
मूल्यों का संरक्षण दायित्व
बोध कर्तव्य युग पीढ़ी
भविष्य बोध सत्यार्थ!!

पारम्परिक मूल्यों का
सत्कार अक्षय अक्षुण
संस्कृत संस्कार राष्ट्र
समय समाज अभय
निर्भय राष्ट्र चेतना संग्राम!!

समय हुंकार ललकार
युग युवा वंदन सत्कार
जागो सुनो काल समय
युग पुकार!!

स्व पहचान परंपरा
पारम्परिक मूल्यों का
रक्षण संचय संवर्धन
गौरवशाली इतिहास!!

पृष्ठ भूमि वर्तमान
जागरण उजियार
भविष्य सवर्धन का
अक्षय अकक्षुण
राष्ट्र समाज!!

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!

Hindi Poem by नंदलाल मणि त्रिपाठी : 111990980
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