आधार कार्ड निष्क्रिय
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जीवन में भले ही हमें आपको
कुछ और मिले न मिले,
पर मृत्यु से साक्षात्कार जरुर होगा,
आप भले ही कैसे हों, कैसा भी सोचते हों
या फिर व्यवहार करते हों।
उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
उसे आना ही है, जो कि उसका ही प्रस्ताव है,
जिसे वो कभी भी नहीं वापस लेता
हम चाहें भी तो, वो हमें अवसर तक नहीं देता।
क्योंकि वो ऐसा ही है
अपने दामन पर दाग जो पसंद ही नहीं करता,
अपने मान- सम्मान, पसंद नापसंद से
एक निश्चित फासला बना कर रखता।
तभी तो अपने नैतिक कर्तव्य का पालन
पूरी ईमानदारी से कर पाता है,
हर किसी से रिश्ता जोड़ लेता है
जीवन का अंतिम मीत बन
अपना फर्ज निभा लेता है।
यह और बात है कि हम आप
कभी प्रसन्नता से उसका इंतजार भी नहीं करते
उसके स्वागत की कोई तैयारी भी नहीं रखते
उसके आने की खुशी का पूर्व में
किसी को निमंत्रण भी नहीं देते।
क्योंकि उसे तो आना ही होता है,
इसीलिए निर्विकार भाव से आ ही जाता है
हमसे यारी गाँठ हमें अपने साथ ले जाता है।
बस उसी पल से हमारा सांसारिक रिश्ता
हमेशा के लिए खत्म हो जाता है,
और हमें मरा घोषित कर दिया जाता है
हमारा आधार कार्ड निष्क्रिय मान लिया जाता है।
सुधीर श्रीवास्तव