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भाग 11 – प्रेम बंधन: अनजाना सा (अंतिम भाग)
Rewash अब अपनी खुद की साइंस और टेक्नोलॉजी रिसर्च कंपनी का संस्थापक बन चुका था। उसका सपना था कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि आम लोगों की ज़िंदगी को भी आसान बनाए। उसका इनोवेशन और समर्पण इतना गहरा था कि जल्द ही उसकी कंपनी वैश्विक मंच पर लोकप्रिय हो गई।
वहीं Manish ने IAS की सेवा से संन्यास लेकर राजनीति में कदम रखा। लेकिन वो बाकी नेताओं से अलग था — उसका मकसद केवल सत्ता नहीं, सेवा था। वो जनता की परेशानियों को समझता, सुनता और उन्हें दूर करने के लिए दिन-रात काम करता। लोग उसे एक उम्मीद की तरह देखने लगे थे।
Rewash की बहन Pane अब एक प्रसिद्ध दार्शनिक और लेखिका बन चुकी थी। वह अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों, रूढ़ियों और मानसिक बंधनों को तोड़ती थी। उसके विचार युवा पीढ़ी को सोचने और बदलने की प्रेरणा देते थे।
Abhay का मेडिकल कॉलेज और अस्पताल अब राज्य का सबसे सम्मानित संस्थान बन चुका था। वह न सिर्फ एक प्रसिद्ध डॉक्टर था, बल्कि एक आदर्श शिक्षक और संवेदनशील इंसान भी। उसकी पहचान एक मसीहा जैसी हो गई थी।
Adhya अब एक सफल वकील थी — निडर, तेज़ और न्याय की सच्ची पक्षधर। कोर्ट में उसका नाम बड़े अदब से लिया जाता था। वह महिलाओं और वंचितों की आवाज़ बन चुकी थी।
उन पाँचों की दोस्ती अब एक मिसाल बन चुकी थी — उम्र, समय, और जिम्मेदारियों ने उनके रिश्ते को और गहरा कर दिया था।
Rahul और Gauri अब अपने छोटे से परिवार के साथ बेहद खुश थे। उनके जीवन में एक सुकून था, एक अपनापन जो उन्होंने वर्षों में एक-दूसरे के साथ सीखा था।
Shiv और Reena अब पहले से कहीं अधिक समझदार और एक-दूसरे के करीब थे। उनके रिश्ते में अब न केवल प्यार था, बल्कि सम्मान और परिपक्वता भी थी।
दादी माँ अब इस दुनिया में नहीं थीं, लेकिन उनकी कहानियाँ, उनका आशीर्वाद, उनकी सीखें — सबकी ज़िंदगी में हमेशा जिंदा रहीं।
उनका जीवन अब भी चुनौतियों से भरा था, पर उन्होंने साथ में जीना सीख लिया था — एक-दूसरे का सहारा बनकर, एक-दूसरे की ताक़त बनकर।
"प्रेम बंधन" अब एक अनजाने से रिश्ते से निकलकर, जीवन की सबसे मजबूत नींव बन चुका था।
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