हो रही थी शादी उसकी, बनकर वो दुल्हन नज़रे झुके बैठी थी..
मुस्कान थी उसके चेहरे पर,, शायद वो सब कुछ भुलाये बैठी थी..!!
अपनी बर्बादी का मंज़र में अपनी आँखों से देखता रहा..
उसका हाथ किसी और के हाथ में था,, और मैं अपनी किस्मत को कोस्ता रहा..!!
रख ली अपने घर की इज्जत उसने,, मुझसे किया हर वादा उसने तोड़ दिया..
जब दिया बाप ने मर जाने की धमकी,, छोड़ दिया उसने मुझे मरने के लिए...!!!
खैर मेरी मोहब्बत का किस्सा अब ख़तम हुआ,, निकाह नाम पे उसका दस्तखत हुआ..
थरथराते लबों से उसने निकाह कुबूल कर ली,, मेरे अरमानों का सारे आम क़तल हुआ...!!!
रख के मन अपने घरवालो का वो विदा हो गई.. मजबूरियों ने फिर से मोहब्बत को जुदा किया,, इश्क में फिर से एक और आशिक फना हुआ...