अधूरा प्यार नहीं
वो अधूरी चाहत कहो
चाहा था मैंने तो उसे
उसने ना चाहा इसमें मेरा क्या कसूर
मै सच्चा था
फिर भी झूठा हो गया
प्यार किया था उसे
इसलिए मुझसे रूठी रह गई।
बना गई वो दोषी
मुझ जैसे निर्दोष को
ना पहचान सका मै आज तक
इसमें मेरे दिल का क्या कसूर था
प्यार ही तो किया था
दिल पर मेरा जोर नहीं
हु मैं आज भी शरीफ
दिल की वो चोर रही।
उसके अदा मुझे भा गई
इसमें मेरा क्या कसूर
वो तो मुझसे कह गई
"हमे तुमसे प्यार नहीं हुजूर "
वो मुझे अधूरा छोड़ गई
प्यार किया था उससे
उसने मेरे प्यार को
अधूरा प्यार का नाम दिया।
Nisha k...