ये यानी उम्र का प्यार,
होता बेकार।
बचपन और जवानी के बीच में हुई मोहबब्त
नासमझ होती हैं कमबख्त ।
इस इश्क का अंजाम बुरा होता ,
किसी की बेटी किसी का बेटा बेमौत मारा जाता ।
बचपन ख़त्म जवानी शुरू होने का सफर,
जिंदगी में बन जाता कहर ।
एक बात मेरी मानो पहले प्यार की परिभाषा जानो,
नाबालिग से बालिग नासमझ से समझदार बनो।
वरना यूंही तुम्हारी दुनिया ख़त्म हो जाएगी,
बेखबर दुनिया मौत की वजह भी मालूम ना कर पाएगी ।