विचार बदलते हैं
भावनायें भी ! कभी श्रृंगार करके
मचलती हैं एक नन्ही बालिका के मन की तरह एक युवती का नुपुर लेकर।
कभी बीहड़ सी त्यागने को हो जाती आतुर।
नही बदलता तो तु, तुझमे सम्मालित भावनायें। हर इच्छा तुझतक ही तुझपर ही स्थित होकर मिल जाना चाहती हैं अस्तित्व के विलय, अस्तित्व तक।।
- Ruchi Dixit