इश्क - Nilesh Tank ✍️
"तेरा गम ए बाजार में बिकना भी इश्क,
मेरा ग़म-ए-हयात में घुल जाना भी इश्क़!"
"तेरा बेहयाई सा चमकना भी इश्क,
मेरा बेजारी सा टूट जाना भी इश्क!"
"तेरा दस्त-ए-बर्दार होना भी इश्क,
मेरा क़तरों सा बिखर जाना भी इश्क!"
तेरा बीच मंझधार में छोड़ जाना भी इश्क,
तेरी राहों में कफ़न ओढ़ लेना भी इश्क!"