सुबह को पता है
लोग उठेंगे
चलेंगे,दौड़ेंगे,
फूल की तरह खिलेंगे।
बच्चे स्कूल जायेंगे
धूप खिलेगी,
झोले से बाहर आ
किताब खुलेगी।
हमारा सूरज एक होगा
वह बँटेगा नहीं,
धूप की ताकत
साफ-साफ दिखेगी।
सुबह को पता है
पूजा होगी,
प्रार्थनायें उठेंगी
सुनहरे आकाश में दृष्टि दौड़ेगी,
मनुष्य का वायुयान दूर तक उड़
यात्राओं को समेटेगा,
सुबह को पता है
खिड़की-दरवाजे खुलेंगे,
मनुष्य चलता रहेगा
एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक।
* महेश रौतेला