Marathi Quote in Poem by aaditi Kamble

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"गाँव से मुंबई तक का सफर"

जंगल की छाव, पहाड़ियो का साथ,
बचपन का हर दिन , था प्रकृती का हाथ ,
कभी प्राणियों संग खेलना , कभी रान फलो का स्वाद,
दोस्तो के संग वो हसी खुशी का अद्भुत एहसास

गाँव की वो दुनिया, कितनी थी प्यारी,
हर रोज़ सूरज संग खेलती हमारी।
पर एक दिन ऐसा आया जो चमचमती मुंबई ले गया,
जहाँ सब कुछ अलग था, एक अनोखी दुनिया।

पर मन में बसी थी एक अनोखी चाह, मुंबई का सपना चमचमाती राह.
सोचा था जैसे कोई परदेश नया,
जहा नही होगी हरियाली बस मशीनो का मेला.

मुंबई की चौखट पर कदम जब रखा, आयआयटी बॉम्बे के सुंदर परिसर ने मन मोह लिया.
भीडभाड , ट्रॅफिक, अनजानी सडके, धीरे धीरे सिखा,
हर कठीणाई को गले से लगाया.

हिंदी की मुश्किलें, अंग्रेज़ी का डर,
पर साथियों ने थामा, हर लम्हे में बसा था उनके प्यार का असर।
पहले तो तलाशती थी मराठी की मिठास,
अब खुद को हर भाषा में पाती हूँ ख़ास।

सड़क पर चलते अजनबी भी मुस्कुराते मिले,
कभी रिक्षावाले अंकल, कभी दोस्त नए बने।
अब हर मोड़ पर हैं किस्से संजोने को,
हर मुश्किल ने सिखाया है खुद को पिरोने को।

आज जब देखती हूँ बीते दिनों की झलक,
माँ की मेहनत और प्यार की महक।
उसने एक गाँव से शहर की राह दिखाई,
मेरा हर सपना उसकी उम्मीदों से जुड़ता है भाई।


गाँव की बेटी अब उड़ने को बेकरार है,
हर ऊंचाई पर, अपनी पहचान से इकरार है।


Writer..
आदिती कांबळे✍🏻

Marathi Poem by aaditi Kamble : 111965865
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