*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*चिंतन, देर, रेत, चरण, राह*
*चिंतन* करना है हमें, सभी काम हों नेक।
कर्म करें जो भी सदा, जाग्रत रखें विवेक।।
शुभ कार्यों में शीघ्रता,करें न *देर*-सबेर।
यही बात सबने कही,जीवन का वह शेर।।
समय फिसलता *रेत* सा,पकड़ न पाते हाथ।
गिनती की साँसें मिलीं, नेक-नियत हो साथ।।
*चरण* वंदना राम की, हनुमत जैसे वीर।
दोनों की अनुपम कृपा, करें धीर गंभीर।।
चाह अगर दिल में रहे, मिल ही जाती *राह*।
आशा कभी न छोड़ना, निश्चय होगी वाह।।
मनोजकुमार शुक्ल *मनोज*