ठेका दिलवाने का ठेका, बड़ा ही अजीब काम,
हर कोई बनता है ठेकेदार, सबका एक ही नाम।
कभी कोई कहे, "मैं हूँ सबसे बड़ा खिलाड़ी,"
दूसरा बोले, "मेरे बिना ठेका नहीं मिलेगा प्यारी।"
कोई लाए रिश्वत की थैली, कोई दे वादों की झड़ी,
सबकी जुबान पर एक ही बात, "मुझे ही ठेका दे, मेरी लड़ी।"
ठेकेदारों की भीड़ में, कौन है असली, कौन नकली,
सबकी चालें ऐसी, जैसे हो कोई फिल्मी कहानी।
कभी कोई नेता, कभी कोई अफसर,
सबकी नजरें ठेके पर, जैसे हो कोई खजाना।
ठेका दिलवाने का ठेका, बड़ा ही मजेदार खेल,
जिसने भी खेला, उसने ही पाया, ठेके का मेल।
तो दोस्तों, संभल के रहना, ठेके की इस दुनिया में,
क्योंकि यहाँ हर कोई है, ठेका दिलवाने के ठेके में माहिर।
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