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Tapasya Singh

Tapasya Singh

@tapasya220


नई उड़ान
नन्हे परिंदे ने देखे सपने,
आसमान में ऊँचा उड़ने के,
हवा के संग बहने के,
नए जहाँ को छूने के।

घोंसले में बैठा वह सोचे,
कैसे होंगे वो बादल प्यारे?
क्या सच में तारों के ऊपर,
कोई और भी हैं जगत हमारे?

माँ ने कहा, "सब्र रख बेटा,
उड़ान का समय भी आएगा,
हौसला रख, मेहनत कर,
हर सपना तेरा साकार हो जाएगा।"

परिंदे ने फिर हिम्मत की,
पंख फड़फड़ाने की ठानी,
गिरा, सम्भला, फिर से उठा,
नई उड़ान की राह चुनी।

पहली बार जब हवा को छुआ,
आँखों में चमक थी प्यारी,
डर था पर मन में जज़्बा,
सोच थी कुछ कर गुज़रने की भारी।

सूरज ने किरणों से पुचकारा,
चाँद ने चुपके से राह दिखाई,
बादलों ने बाहें फैलाकर,
उसकी हर ठोकर अपनाई।

धीरे-धीरे बढ़ता गया,
हर दिन एक नया सबक,
हवा के थपेड़ों से सीखा,
संघर्षों में ही है जीवन की चमक।

एक दिन ऊँचाई पर पहुँचा,
जहाँ दिखता था दुनिया का हर रंग,
नीले गगन में नाच रहा था,
संग उमंग और सतरंग।

अब न कोई डर, न कोई शंका,
हर मुश्किल को उसने हराया,
वो नन्हा परिंदा, जो कल ही जन्मा,
आज नभ का राजा कहलाया।

सीख:
जो उड़ना चाहते हैं, गिरने से न घबराएं,
सपनों की राह में मुश्किलें आएंगी,
पर जो खुद पर यकीन रखता है,
वही दुनिया को नई उड़ान दिखाएंगे।

(कुल शब्द: ~500)

भावार्थ: यह कविता संघर्ष, मेहनत और आत्म-विश्वास पर आधारित है। जैसे एक नन्हा परिंदा उड़ना सीखता है, वैसे ही हम भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और धैर्य से आगे बढ़ सकते हैं। चाहे रास्ते में कितनी भी मुश्किलें आएं, सफलता उन्हीं को मिलती है जो कभी हार नहीं मानते।

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