(राम सिंह ढाबे वाला राम प्यारी को चाहता हैं जिसके पिता लस्सी मिठाई की दुकान चलाते है। राम प्यारी चाहती है कि राम सिंह उनके परिवार का ही बन के रहे पर फिल्मी ट्विस्ट आते है और रिश्ता टूट ही वाला है..)
राम सिंह की दर्दीली आवाज़ है...
"हर दिन मुझे ज़ालिम तूने तड़पाया तो क्या किया
मेरे दिल का तन्दूरी रोस्ट बनाया तो क्या किया
ले दे के तेरे डैडी को पटाया था कैसे मैंने उसे
उस का दिमाग तूने ही फिराया तो क्या किया
ज़िंदगी मे यूँ कई सितम ढाये थे वैसे ही तूने
अब इसमे तूने मिर्ची तड़का लगाया तो क्या किया "
राम प्यारी भी जवाब देती है बॉलीवुड फिल्मी..
मेरे पेट मे भूख सी लगती है ढाबे से जब मै गुजरती हूँ
इस बात से यह न समझ लेना कि मैं तुझसे मुहब्बत करती हूँ
मेरे डैडी से जो भी कहा तूने वो मैं ठीक से ही समझती हूँ
तेरे प्लान क्या है आगे के लिए क्या मै तुझे बेवकूफ लगती हूँ
(अगली धुन )
चिकन मांगू न कबाब मांगू
मैं तो राम सिंह तेरा प्यार मांगू
यह मस्त गाने को सुन कर राम सिंह गदगद हो जाता है और ढाबे को लीज़ पर दे कर राम प्यारी के परिवार का घर जंवाई बन जाता है। सब खुश
समाप्त