*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*परिवार,माया,तस्वीर,अतीत,कविता,जवान*
हँसी-खुशी *परिवार* की, आनंदित तस्वीर।
सुख-दुख में सब साथ हैं, धीर-वीर गंभीर।।
*माया* जोड़ी उम्रभर, फिर भी रहे उदास।
नहीं काम में आ सकी, व्यर्थ लगाई आस।।
टाँग रखी दीवार पर, मात पिता *तस्वीर*।
जिंदा रहते कोसते, उनकी यह तकदीर।।
यादें करें *अतीत* की, बैठे सभी बुजुर्ग।
सुदृढ़ था परिवार तब, बचा तभी था दुर्ग।।
*कविता* साथी है बनी, चौथेपन में आज।
साथ निभाती प्रियतमा, पहनाया सरताज।।
तन-मन आज *जवान* है, नहीं गए दरगाह।
उम्र पचासी की हुई, देख करें सब वाह।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*