7 दिसंबर 1937 को जन्म लिया,
एक साधारण बालक, जिसने बड़े सपने सिला।
परिवार का नाम था, पर खुद को बनाया,
देश के लिए सेवा का दीप जलाया।
टाटा के घराने में कदम रखा जब,
संघर्षों की राहों से पार किया हर दम।
उनके दिल में था देश का बड़ा सपना,
देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना।
छोटे उद्योगों से शुरू की कहानी,
हर चुनौती को मान ली, बनी नई निशानी।
टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा टी,
हर क्षेत्र में फैलाया अपना नाम और रोशनी।
"नैनो" से गरीबों के सपने साकार किए,
"टाटा कंसल्टेंसी" ने डिजिटल युग में सितारे छुए।
कभी नहीं झुके, कभी नहीं थमे,
दुनिया के हर कोने में कामयाबी के दीप जलाए।
उनका दिल हमेशा समाज के लिए धड़कता था,
ग़रीबों और युवाओं के सपनों को समझता था।
दिया दान, दिया रोजगार, दिया देश को सम्मान,
हर कदम पर उन्होंने किया देश का उत्थान।
आज जब वो दुनिया से विदा हुए हैं,
हर दिल में उनका नाम जिंदा हुआ है।
उनकी कहानी एक प्रेरणा बनकर रहेगी,
हर युवा के सपनों में रोशनी भरेगी।
आज उनके जाने से आँखें नम हैं,
पर उनका संघर्ष और प्रेम अमर रहेगा हर दम।
रतन टाटा, आपका योगदान हम नहीं भूलेंगे,
आपके आदर्शों से ही हम आगे बढ़ेंगे।
"आपकी राहें हमें दिखाएंगी मंज़िल का रास्ता,
"रतन टाटा जी आप हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे,
आपके सपनों से हम आगे बढ़ते रहेंगे।" - ©️ जतिन त्यागी