----------मेरी आँखों से देखना-----------
नज़्मों को पढ़ना मेरे गीतों को समझना
तुम दुनिया को जीना मेरी आँखों से देखना।
उम्र के साथ साथ तज़ुर्बे भी बढ़ते हैं सबके
वक़्त सिखाए कुछ तो वक़्त से सीखना।
तेरी आँखों में अश्क बनकर खुशी और गम के
मिलूंगा कभी कभी मैं तुमसे तुम देखना।
कुछ वादे तेरे बाकी हैं निभाने के लिए
जिसका रह जायेगा जितना हिसाब में लिखना।
कांटे दोस्त बनकर करते हैं हिफाज़त गुल की
बचाकर फूलों को मेरे हमनवा हवा से रखना।
जो दिखता है चहरों पर होता नहीं है अकसर
हम जैसा मिले कोई तो दिल से ही परखना।