ग़ज़ल: तुम्हारे बिना साँसें
तुम्हारे बिना साँसें अधूरी सी लगती हैं,
जैसे चाँदनी रातें, बिना चाँद के रहती हैं।
तेरे बिन हर लम्हा सूनापन लिए होता है,
धड़कनों में ख़ामोशी की आवाज़ें उठती हैं।
हर एक आहट में तेरी यादों का साया है,
तेरी यादों से दिल की गलियाँ महकती हैं।
तुम्हारे बिना ये आँखे कुछ नहीं कहतीं,
बस हर पल तेरे इंतज़ार में तड़पती हैं।
अभि मोहब्बत में ये दिल भी दीवाना है,
तुम बिन ये धड़कन भी बेरंग-सी लगती हैं।
तुम्हारी मुस्कान ही ज़िन्दगी का सवेरा है,
तुम्हारे बिना ये रातें अधूरी-सी लगती हैं।