विषय : सिर्फ तुम ही हो अपने साथी
ये कविता है खुद से भी इश्क करले मेरी जान ये भी एक अलग नशा है।
एक शायरी के साथ शुरू करते है की...
"क्यो तू ओरो से महोब्बत करने में खुद को खोता है,
कभी, हा कभी खुद से तो महोब्बत कर फिर देख तू क्या क्या पाया है।"
बेइंतिहा इश्क है मुझे खुद से.....जी हा आपने सही सुना.....की मुझे......
बेइंतिहा इश्क है मुझे खुद से.....
कभी खुद के साथ समय बिताया है,
जरूरी नहीं Starbucks की कॉफी अपने partner के साथ ही पी सकते है,
सबसे पहले तू अपनी partner है, तो में तो भई अपनी company को enjoy कर सकती हू।
क्यो तुम्हे हर समय एक कंधा चाहिए।
किसी ने बुरी नजर से देखा, कोई comment paas तो उसे अनदेखा मत करो, उसको पूछो क्या दिक्कत है जनाब आपको?
उसे भी थोड़ी हया हो तो सुधर जाए,
में तो भाई ये कर लेती हु।
जिंदगी में तुम खुद कमाती हो, अपना घर भी अच्छे से संभाल लेती हो,
सब कुछ कर सकती हो, तो क्यू एक ऐसे रिश्ते में से तुम बाहर नहीं आ सकती जिस रिश्ते को तुम्हारी कभी कद्र ही ना हो।
क्यों अगर कोई तारीफ करदे, तो तुम खुद पे गर्व नही अमानुभव कर सकती,
क्यो खुद की छोटी से छोटी खुशी को मनाना नही सिखाती।
क्यो हर दफा अरे नही ये मेरी मेहनत नही है,
इन सबके साथ के बिना तो मैं नही कर पाती,
भले वो लोग तुम्हे हजार ताने सुनाए हो,
परेशान किया हो।
सीखो खुद को कद्र करना,
सीखो खुद की खुशी को celibate करना,
सीखो सोलो ट्रिप पर करना,
सीखो अकेले मूवी देखने जाना,
सीखो adventure sports अकेले करना।
सीखो खुद के साथ खुश कैसे रहा जाता है क्योंकि.....
जब जीवन में कोई नही होता तो सिर्फ तुम ही अपने साथी होते हो.....जी हा....
सिर्फ तुम ही अपने साथी होते हो।