वो साया, हर रात मेरे पास आता था,
साया था वो प्यासा, अधूरी इच्छा सी लेकर, हाँ वो आता था..
रात की चादर ओढ़कर, मेरे पास आकर, कानो मे कुछ बोलता था, हाँ वो आता था....
जीवन की याद दिलाता था, मरे हुए शख्स का वो साया, हर रात मेरे पास आता था....
बिना कुछ बताए अंधेरी सी मौत को लेकर औऱ मेरे करीब, वो मेरे पास आता था.......
उस दिन जब आयी मौत, तब अखिर तक वो आता रहा, मैं समझता रहा सपना, लेकिन वो आता था......
जब नहीं था मैं जिंदा , फिर भी वो आता था, हर वक़्त आता था क्या वो मेरा ही साया था?