मेरे कब्र तक तुम आना ...(my fav)
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आज मैं हूं
कल रहूं या ना रहूं
कल तुम्हें बोल न अलविदा
इस दुनियां से चली जाऊं...
ढूंढोगे तुम मुझे
पर दूर दूर तक मैं नज़र ना आऊं
तब तुम न रोना मेरे लिए
मैं जो बन खुदगर्ज चली गई छोड़ तुझे..
याद कभी तुझे आऊं मैं
आसमान में उन हजारों
तारों को देखना
जब न पहचान पाओ मुझे
मेरे कब्र तक तुम आना...
तुम क्या जानोगे तेरे लिए भी
मैं कितना रोई हूं
तुझसे बिछड़ना आसान नहीं था
फ़िर भी तुझे छोड़ मैं आई हूं..
सारे शिकायतें छोड़ो तुम
मेरे वर्षी के दिन
मेरे कब्र पर एक गुलाब चढ़ा देना
सुकून मिलेगी मेरी रूह को
समय के साथ मुझे भूल जाना...
Manshi_K