અજાણ્યો પત્ર - 18
ईर्ष्या, जलन, द्वेष , द्रोह न जाने कितने भाव मन में उठते है जब तुझे किसी और का हाथ थामें देखता हूं! लगता है जैसे आंखो से आंसू नहीं रक्त बह रहा हो! हाथ थरथराने लगते है! सांसे थम सी जाती है! जब तुम किसी और की धड़कन सुन रही होती हो। लगता है जैसे मैं मौत के ठीक समीप खड़ा हूं!
-Nilesh Rajput