અજાણ્યો પત્ર - 16
मैं तुम्हारे लिए खुली किताब नहीं बनना चाहता! मैं चाहता हूं की तुम मेरे जीवन का शीर्षक बनो, स्याही बन कर लिख दो खुद को मेरे हर जीवन के पहलू में, अगर कोई मुझे पढ़ना भी चाहे तो उसमें सिर्फ तुम्हारा ही नाम मिले। में मिट जाना चाहता हूं खुद की ही किताब में! और बचा लेना चाहता हूं तुमको हर किताब में!