पावन पर्व होली के अवसर पर एक रचना
होली होली होली होली
घूम रही हुड़दंगों की टोली
बच कर रहना इनसे बहनों
भिगा न दें ये सबकी चोली
इनमें कुछ बहुरूप छिपे हैं
मन से कई कुरूप छिपे हैं
होली का है मिला बहाना
इनको है बस काम चलाना
माना मस्ती का है त्योहार
सबसे मत करना इजहार
मत पीना भंगों का प्याला
बन जाओ ना कहीं निवाला
अब मथुरा ना गोकुल धाम
ना कृष्णा ना बलराम
यह दुनिया अब है अतरंगी
होली में मन हुआ सतरंगी
रहना सदा सचेत राधिका
अब मीरा मत बनो साधिका
माना होली स्नेह पर्व है
हम लोगों को इस पे गर्व है
घट जाती हैं कइ घटनाएं
मिलती हैं कुछ को यातनाएं
माना जग बहुरंग हुआ है
ज्योति हृदय सतरंग हुआ है
विश्वासघात से बच कर रहना
कहना मान लो मेरी बहना
कविता माध्यम संदेश एक है
एक व्यक्ति के रूप अनेक है
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश