तेरी यादों की ताप्ती धूप में हमने खुद को सवरा है,
कतरा कतरा दरिया दरिया,
थाम के हमने ऑसू का,
खुद को संभला है।
बीते दीनो की शम्माऐ रोशन है दिल के गोशे में,
जैसे जलता है दिया मजारों पर, उठता है धुआं मजारों से,
अब तू ना आए तो बेहतर है, तेरा गम निकल जय तो बेहतर है
बड़ी मुश्किल से ये होश संभला है,
तुझको भुला कर हमने खुद को पाया है।
By-M.A.K